2003 से लेकर 2023 तक कभी उत्तरकाशी का वरूणावत पर्वत तो कभी केदारनाथ आपदा और अब जोशीमठ का असतित्व ये क्या संकेत दे रहा है ?
क्यों हम प्रकृति के साथ साथ चलने के बाद से मुंह मोड लेते हैं और प्रलय के मुहाने पर खडे हो जाते हैं , हर साल आपदायें आती हैं पर कुछ ऐसी होती हैं जो हमारे मानसपटल पर एक अमिट छाप छोड जाती है ।
अगर ये सच हुआ तो जोशीमठ ही नहीं पूरी सभ्यता ही खतम हो जाऐगी, अगर वो भविष्यवाणी सच साबित होती हुयी दिख रही है। पुराणों में लिखा हुआ वो सत्य जो प्रलय का संकेत दे रहा है।भगवान नृसिंह से लेकर भगवान बद्रीनाथ तक प्रलय की भविष्यवाणी कर रहे हैं।
अगर आप पुराणों और ग्रथों में लिखी बातों में भरोसा करते हैं तो आप को बता दें कि हमारे वेदों और पुराणों में लिखा हुआ, कोई इतफाक नहीं बल्कि सब सच का प्रतीक है। भूतकाल की बातों को छोड वर्तमान का रूख करें तो आज जोशीमठ का जर्रा जर्रा थरथरा रहा है। लोगों की रूह कांप रही है, जोशीमठ में हर तरफ तबाही, बर्बादी, और विनाश का मंजर दिख रहा है। जोशीमठ के रहने वाले लोगों को अपनी जिंदगी भर की जमापूंजी से बनाये हुए घर और अपनी पुरखों की विरासत को छोडना पड रहा है। उनकी आँखों के सामने ही उनके बसाये हुए संसार को उजडता देखने को मजबूर हैं।
बात करें भूतकाल की तो स्थल पुराण में साफ साफ लिखा है कि एक दिन नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे, आपको बता दें कि ये नर और नारायण वो पर्वत हैं जिनसे होकर भगवान बद्रीनाथ के धाम के लिए रास्ता जाता है, जिसका सम्बंध जोशीमठ में स्थित भगवान नरसिंह देवता की मूति से है, स्थल पुराण में लिखा गया है कि जिसदिन भगवान नृसिंह की शालीग्राम की मूति की कलाई टूटेगी उस दिन नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाऐंगे, वो दिन भगवान बद्रीनाथ के लिये जाने का रास्ता हमेशा हमेशा के लिये बन्द हो जाएगा, पर आश्चर्य की बात तो ये है कि भगवान नृसिंह की शालीग्राम की मूति की कलाई धीरे धीरे पतली होती जा रही है, अब जोशीमठ में ये तबाही किस बात का संकेत है, बद्रीनाथ को जाने का रास्ता जोशीमठ से है और अगर ये तबाह हुआ तो लोग कैसे कर पायेंगे चार धामों में से एक भगवान बद्रीविशाल के दर्शन ।
तो कह सकते हैं कि सच साबित हो रही है स्थल पुराण में लिखी हर एक बात क्योंकि आंखों के सामने तबाह होता जोशीमठ इसका एक प्रमाण है, और अगर ये सब कुछ सत्य है तो भविष्य बद्री में दर्शन देंगे बद्रीविशाल, वहीं भविष्य बद्री में भी कुछ अदभुत हो रहा है, स्थल पुराण में लिखा है कि जिस दिन बद्रीनाथ जाने का रास्ता महाविनाश के कारण बंद हो जाएगा तब भगवान बद्रीविशाल के दर्शन भविष्य बद्री में होंगे, भविष्य बद्री की बात करें तो वहां भी कुछ अलग ही हो रहा है वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि वहां भी भगवान नारायण की शालीग्राम की मूर्ति आकार ले रही है। लोग यहां दर्शन के लिये आते हैं और ये सब देखकर हैरान रह जाते हैं, विज्ञान के इस युग में ऐसी बातों पर यकीन करना असंभव तो है लेकिन कुछ तो बात है वरना हमारे पुराणों में ऐसा क्यों लिखा होता ।
उत्तराखण्ड को वैसे भी चमत्कारों, देवी देवताओं, स्थानदेवताआंे, कुलदेवताओं, ग्रामदेवताओं वनदेवताओं, आंछरी, मातृयों की भूमि कहा गया है, जिस तरह देवताओं की इस धरती में इंसानी दखल से मशीनों का शोर बढा है, उसका परिणाम हमेशा विनाश के रूप में मिला है। केदारनाथ की आपदा तो आपको याद ही होगी अब ऐसे में जोशीमठ का भविष्य क्या है । ये भविष्य नृसिंह देवता की कलाई में छुपा है या भविष्य बद्री की चौखट पर जवाब है जोशीमठ की तस्वीरें, ये विनाश का संकेत, ये तबाही का मंजर सब सच साबित होता दिख रहा है